May 08, 2013
सूचना का अधिकार
भारत सरकार ने सदैव अपने नागरिको के जीवन को सहज, सुचारु बनाने पर बल दिया है और इस प्रकार इसे ध्यान में रखते हुए भारत को पूरी तरह लोक तांत्रिक बनाने के लिए आरटीआई अधिनियम स्थापित किया गया है।
आरटीआई का अर्थ है सूचना का अधिकार और इसे संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है। धारा 19 (1), जिसके तहत प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है और उसे यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य करती है, इसकी क्या भूमिका है, इसके क्या कार्य हैं आदि।
प्रत्येक नागरिक कर का भुगतान करता है अत: इसे अधिकार मिलते हैं और साथ ही उसे यह जानने का पूरा अधिकार है कि उसके द्वारा कर के रूप में दी गई राशि का उपयोग कैसे किया जा रहा है।
सूचना का अधिकार अधिनियम प्रत्येक नागरिक को सरकार से प्रश्न पूछने का अधिकार देता है और इसमें टिप्पणियां, सारांश अथवा दस्तावेजों या अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियों या सामग्री के प्रमाणित नमूनों की मांग की जा सकती है।
आरटीआई अधिनियम पूरे भारत में लागू है (जम्मू और कश्मीर राज्य के अलावा) जिसमें सरकार की अधिसूचना के तहत आने वाले सभी निकाय शामिल हैं जिसमें ऐसे गैर सरकारी संगठन भी शामिल है जिनका स्वामित्व, नियंत्रण अथवा आंशिक निधिकरण सरकार द्वारा किया गया है।
आरटीआई अधिनियम एक लोक प्राधिकरण द्वारा धारित सूचना तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है। यदि आपको किसी प्रकार की सूचना देने से मना किया गया तो आप निम्नलिखित विकल्पों का उपयोग करते हुए केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष अपील / शिकायत दर्ज करा सकते हैं:
शिकायत
आरटीआई शिकायत
आरटीआई अधिनियम सभी नागरिकों को एक लोक प्राधिकारी के पास उपलब्ध जानकारी तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है। यदि आपको किसी जानकारी देने से मना किया गया है तो आप केन्द्रीय सूचना आयोग में अपनी अपील / शिकायत जमा करा सकते हैं।
शिकायत कब जमा करें
इस अधिनियम के प्रावधान 18 (1) के तहत यह केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का कर्तव्य है, जैसा भी मामला हो, कि वे एक व्यक्ति से शिकायत प्राप्त करें और पूछताछ करें।
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जो केन्द्रीय सूचना लोक अधिकारी या राज्य सूचना लोक अधिकारी के पास अपना अनुरोध जमा करने में सफल नहीं होते, जैसा भी मामला हो, इसका कारण कुछ भी हो सकता है कि उक्त अधिकारी या केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी, इस अधिनियम के तहत नियुक्त न किया गया हो जैसा भी मामला हो, ने इस अधिनियम के तहत अग्रेषित करने के लिए कोई सूचना या अपील के लिए उसके आवेदन को स्वीकार करने से मना कर दिया हो जिसे वह केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या धारा 19 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट राज्य लोक सूचना अधिकारी के पास न भेजे या केन्द्रीय सूचना आयोग अथवा राज्य सूचना आयोग में अग्रेषित न करें, जैसा भी मामला हो।
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जिसे इस अधिनियम के तहत कोई जानकारी तक पहुंच देने से मना कर दिया गया हो। ऐसा व्यक्ति जिसे इस अधिनियम के तहत निर्दिष्ट समय सीमा के अंदर सूचना के लिए अनुरोध या सूचना तक पहुंच के अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया हो।
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जिसे शुल्क भुगतान करने की आवश्यकता हो, जिसे वह अनुपयुक्त मानता / मानती है।
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जिसे विश्वास है कि उसे इस अधिनियम के तहत अपूर्ण, भ्रामक या झूठी जानकारी दी गई है।
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इस अधिनियम के तहत अभिलेख तक पहुंच प्राप्त करने या अनुरोध करने से संबंधित किसी मामले के विषय में।
आरटीआई की दूसरी अपील
आरटीआई अधिनियम सभी नागरिकों को लोक प्राधिकरण द्वारा धारित सूचना की अभिगम्यता का अधिकार प्रदान करता है। यदि आपको किसी सूचना की अभिगम्यता प्रदान करने से मना किया गया हो तो आप केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष अपील / शिकायत दायर कर सकते हैं।
एक अपील कब दर्ज करें
19 (1) कोई व्यक्ति, जिसे उप धारा (1) में अथवा धारा 7 की उप धारा (3) के खण्ड (क) के तहत निर्दिष्ट समय के अंदर निर्णय प्राप्त नहीं होता है अथवा वह केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के निर्णय से पीडि़त हैं, जैसा भी मामला हो वह उक्त अवधि समाप्त होने के 30 दिनों के अंदर अथवा यह निर्णय प्राप्त होने के 30 दिनों के अंदर उस अधिकारी के पास एक अपील दर्ज करा सकता है जो प्रत्येक लोक प्राधिकरण में केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ स्तर का है, जैसा भी मामला हो :
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बशर्ते कि उक्त अधिकारी द्वारा 30 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपील स्वीकार कर लेता है, यदि वह इसके प्रति संतुष्ट है कि अपीलकर्ता को समय पर अपील करने से रोकने का पर्याप्त कारण है।
19 (2) जब एक अपील केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, जैसा भी मामला हो, द्वारा धारा 11 के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का प्रकटन किया जाता है तब संबंधित तीसरा पक्ष आदेश की तिथि के 30 दिनों के अंदर अपील कर सकता है।
19 (3) उप धारा 1 के तहत निर्णय के विरुद्ध एक दूसरी अपील तिथि के 90 दिनों के अंदर की जाएगी जब निर्णय किया गया है अथवा इसे केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग में वास्तविक रूप से प्राप्त किया गया है:
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बशर्ते कि केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो 90 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद अपनी दायर कर सकता है, यदि उसे यह संतुष्टि है कि अपीलकर्ता को समय पर अपील न कर पाने के लिए पर्याप्त कारण हैं।
19 (4) यदि केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का निर्णय, जैसा कि मामला हो, दिया जाता है और इसके विरुद्ध तीसरे पक्ष की सूचना से संबंधित एक अपील की जाती है। तो केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, उस तीसरे पक्ष को सुनने का एक पर्याप्त अवसर देंगे।
19 (7) केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का निर्णय, जैसा भी मामला हो, मानने के लिए बाध्य होगा।
19 (8) अपने निर्णय में केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, को निम्नलिखित का अधिकार होगा।
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क) लोक प्राधिकरण द्वारा ये कदम उठाए जाएं जो इस अधिनियम के प्रावधानों के साथ पालन को सुनिश्चित करें, जिसमें शामिल हैं
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सूचना तक पहुंच प्रदान करने के द्वारा, एक विशेष रूप में, यदि ऐसा अनुरोध किया गया है;
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केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति द्वारा, जैसा भी मामला हो;
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सूचना की कुछ श्रेणियां या कुछ विशिष्ट सूचना के प्रकाशन द्वारा;
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अभिलेखों के रखरखाव, प्रबंधन और विनाश के संदर्भ में प्रथाओं में अनिवार्य बदलावों द्वारा
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अपने अधिकारियों को सूचना के अधिकार पर प्रशिक्षण के प्रावधान बढ़ाकर;
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धारा 4 की उप धारा (1) के खण्ड (ख) का पालन करते हुए वार्षिक प्रतिवेदन प्रदान करना;
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ख) लोक प्राधिकरण द्वारा किसी क्षति या अन्य उठाई गई हानि के लिए शिकायतकर्ता को मुआवज़ा देना;
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ग) इस अधिनियम के तहत प्रदान की गई शास्तियों को अधिरोपित करना;
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घ) आवेदन अस्वीकार करना।
19 (9) केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो अपील के अधिकार सहित अपने निर्णय की सूचना शिकायतकर्ता और लोक प्राधिकरण को देगा।
19 (10) केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो उक्त प्रक्रिया में निर्धारित विधि द्वारा अपील का निर्णय देगा।
(Source: rti.india.gov.in)
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