Home » Consumer Rights » DIARY OF A SINGLE GIRL: You should continue to feel like ‘vagina’: Padmaavat co-writers to Swara Bhaskar; ‘At The End of Your Magnum Opus… I Felt Reduced to a Vagina–Only’
Girl, writing
Image used for representational purpose (Pixabay image)

DIARY OF A SINGLE GIRL: You should continue to feel like ‘vagina’: Padmaavat co-writers to Swara Bhaskar; ‘At The End of Your Magnum Opus… I Felt Reduced to a Vagina–Only’

You should continue to feel like ‘vagina’: Padmaavat co-writers to Swara Bhaskar in open letter
‘At The End of Your Magnum Opus… I Felt Reduced to a Vagina – Only’
मैं इधर लोगों को खुशियां बांटने का काम करती हूँ …
iConfess: A shower that turned me into a ‘lesbian’
I am so glad he left me
More … …

Go to NEWS.

You should continue to feel like ‘vagina’: Padmaavat co-writers to Swara Bhaskar in open letter

Ibtimes.co.in 
Swara Bhaskar in an open letter had criticised Sanjay Leela Bhansali by saying that she “felt like a vagina” after watching Padmaavat.
January 30, 2018
Padmaavat co-writers Siddharth-Garima have responded to Swara Bhaskar’s open letter, in which she had said that she “felt like a vagina” after watching the magnum opus.
In an open letter, the actress had criticised director Sanjay Leela Bhansali alleging that he glorified the practices of jauhar and sati in his film Padmaavat. While Swara had received both appreciation and backlash for the comments, Siddharth-Garima have come up with a strong response through an open letter again. …

Padmavati
Deepika Padukone in a still from Padmaavat. Credit: YouTube

‘At The End of Your Magnum Opus… I Felt Reduced to a Vagina – Only’

Thewire.in
27/01/2018
Dear Mr. Bhansali,
At the outset Sir, congratulations on finally being able to release your magnum opus ‘Padmaavat’ – minus the ‘i’, minus the gorgeous Deepika Padukone’s uncovered slender waist, minus 70 shots you apparently had to cut out.. but heyyyy! You managed to have it released with everyone’s heads still on their shoulders and noses still intact. And in this ‘tolerant’ India of today, where people are being murdered over meat, and school children are targets for avenging some archaic notion of male pride, that your film even managed a release – that is I guess commendable, and so again, congratulations. …

You may like to click on any of the following links:-
* Latest DOPT/CVC/RTI/MOF/CGHS/DPE Orders/Circulars
* Sexual Harassment – Govt. Orders/Circulars 
* Vigilance Related GOI/CVC Office Orders/Circulars
* Right to Information (RTI) – Rules Orders/Circulars (Subject-Wise)
* Decisions of Central Information Commission – Section-Wise
* CGHS Circulars/Empanelled Hospitals/Package Rates 

Happy Woman
Image used for representational purpose only (Pixabay Image)

मैं इधर लोगों को खुशियां बांटने का काम करती हूँ …

जनवरी 06, 2018 : Charu Sharma, directorcharusharma.wordpress.com

“वो मुझसे अपनी खुशियाँ लेने आते हैं, मेरे साथ हमबिस्तर होना तो उसका बस एक जरिया है, मैं किसी को खुशियाँ बांटने का काम करती हूँ, अब आप उसे किसी भी नाम से पुकारो मेरे को कोई फर्क नहीं पड़ता”| ये शब्द हैं एक पेशेवर वेश्या के, एक धंधेवाली के, जी हाँ, हम सब अक्सर जिस्मफरोशी करने वाली औरतों को इसी नाम से पुकारते है, जानते है| लेकिन एक ऐसी ही धंधेवाली ने बड़ी ही बेबाकी से मुझे अपने काम के बारे में बताया और ना सिर्फ बताया बल्कि अपने काम को एक नए अंदाज में उसने मेरे सामने पेश किया जहाँ अपने काम के लिए अगर उसको फक्र नहीं था तो कोई गिला भी नहीं था| बल्कि बड़ी सहजता से उसने अपने आप को लोगों को खुशियाँ बांटने वाला एक जरिया बताया |

वेश्यावृति और वेश्याओं की स्तिथि पर बन रही एक डाक्यूमेंट्री फिल्म के सिलसिले में मुझे हाल ही में एक बड़े शहर के रेड लाइट एरिया में जाने का मौका मिला| जैसा कि अमूमन होता है कि हम ऐसी औरतों को या तो नफरत की नजर से देखते हैं या फिर बेचारगी के तराजू से तौलते हैं| यहाँ भी शुरू में हालात कुछ ऐसे ही थे| ज्यादातर औरतें अपने हालात और इस धंधे में होने वाली तमाम मुश्किलों के बारे में बयान कर रहीं थीं | हम सब जानते ही हैं कि जब से एस्कॉर्ट और हाई प्रोफाइल कॉल गर्ल्स ने इस काम को अपनाया है तबसे पारंपरिक कोठेवालियों के बुरे दिन शुरू हो गए हैं| हालांकि ये भी अपनी ताज़ा नस्लों को पारंपरिक शैली से बाहर निकाल कर डिजिटल दुनिया के लिए तैयार कर रही हैं लेकिन फिर भी दिक्कतें तो हैं ही|क्योंकि ना तो इनके पास उतनी सुविधाएं हैं और ना ही पैसा, तो किसी भी हाल में अपनी जड़ों से जुड़े रहना इनकी एक मजबूरी है|

कई औरतों से बात करने के बाद मेरी मुलाकात एक २५-२६ साल की लड़की से हुई | वो अपनी एक छोटी सी कोठरी के बाहर तैयार होकर बैठी थी | हमने उससे बात करना शुरू किया | उसने बड़े ही चहकते हुए अंदाज में अपना नाम बताया और हमसे भी दो चार सवाल पूछ डाले, मसलन ये क्या कर रहे हो, क्यों कर रहे हो वगैरह वगैरह | ऐसा लगता था कि वो खुश थी वहाँ, हाँ, सही सुना आपने, वो खुश थी | पर ऐसी नर्क जैसी जगह पर कोई कैसे खुश हो सकता है लेकिन उसने हमारी सोच को झुठला दिया | उसके बारे में मेरी दिलचस्पी और बढ़ गयी | मैं उसकी कहानी जानना चाहती थी | उसने भी बिना हिचके बताना शुरू किया | “मैं उत्तर भारत के एक छोटे से कस्बे से हूँ, मेरे गावं में हमारे एक पड़ोसी थे | उनकी बेटी मेरी अच्छी सहेली थी | हम दोनों बहुत समय साथ में रहते थे | एक बार उनके यहाँ उनके एक रिश्तेदार आये जिनके लड़के से मेरे को प्यार हो गया | हम दोनों के परिवार वाले तो मानने वाले नहीं थे इसलिए वो मेरे को लेकर भाग आया | यहाँ उसके पहचान वाले कुछ लोग थे | उधर हम लोग कुछ दिन रहे | उसने और मैंने काम तलाश करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी | कुछ दिन में जो घर से पैसे वगैरह लाये थे वो सब ख़त्म हो गए| तब मुश्किल होने लगी | हम दोनों में झगड़े भी होने लगे और मेरा बॉयफ्रेंड मेरे को मारने भी लगा | उसके इधर जो जानने वाले लोग थे उन्होंने उसको इस धंधे के बारे में सुझाव दिया और बोला कि अगर मैं मान जाऊं तो वो ग्राहक पटा कर लाएंगे लेकिन बदले में उनको भी कमीशन चाहिएगा | मेरा बॉयफ्रेंड ने मेरे को बहुत समझाया और कहा कि इसके अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं है वरना हमें सुसाइड करना पड़ेगा या फिर घर वापस जाना होगा | उसने कहा कि उसे मेरे ऐसा करने से कोई प्रॉब्लम भी नहीं है वो हमेशा मेरा साथ निभाएगा अगर मैं इस मुश्किल से उसको बाहर निकालती हु तो| तो मैंने बहुत सोचा और मेरे को लगा कि ये भी मेरे साथ है तो क्या प्रॉब्लम है | फिर मैं घर वापस जा नहीं सकती थी और मरना मुझे मंजूर नहीं था| जीने के लिए घर से भागी थी अब मर क्यों जाऊं, तो मैंने मन बना लिया कि ठीक है यही सही| ऐसे ही जियेंगे | मेरे बॉयफ्रैंड और उसके दोस्तों ने मेरे लिए कस्मटर लाना शुरू कर दिया| हर रोज एक कस्टमर लाया जाता और उस एक दिन का खर्च निकल जाता | ऐसे कुछ दिन चला लेकिन कुछ पैसा जुड़ नहीं पा रहा था क्योंकि रोज का खाना, पीना और कमीशन वगैरह का पैसा निकालकर कुछ बचता ही नहीं था | तब मेरा बॉयफ्रेंड मेरे पास एक नया ऑफर लेकर आया कि वो मुझे एक कोठे पर बेचेगा और वहां से बदले में एक मोटी रकम लेकर उससे अपना काम शुरू करेगा | फिर कुछ दिन में वापस मुझे वहां से खरीदकर ले जाएगा | मैंने ये बात भी मान ली | वो मुझे यहाँ छोड़कर पैसे लेकर चला गया | तब से मैं यहाँ हूँ | कुछ दिन तक वो कभी कभी मिलने आता था | फिर उसने आना बंद कर दिया | फिर एक दिन उसका एक दोस्त यहाँ आया और बताया कि अभी वो दूसरी लड़की के साथ सेट हो गया है और तेरे को भूल गया है | तो अभी तू इधर ही रहने वाली है |

पहले तो मेरे को दुःख हुआ, मैं बहुत रोई धोयी लेकिन इधर कोई किसी के आंसू नहीं पोंछता क्योंकि सब ही तो रोते हैं यहाँ | बहुत दिन सदमे में रहने के बाद मैंने फिर सोचा कि दुखी होकर क्या करूँगी | अपने को जिन्दा रखना है तो अब यही मेरी किस्मत सही, कोई क्या कर सकता है | सब समझदार लोग बोलते हैं की सब भगवान् की मर्जी से होता है तो मैं उसकी मर्जी के खिलाफ कैसे जा सकती हूँ | फिर मैंने सोचा, भगवान् सबके बारे में तय करता है तो शायद उसने मुझे इधर ख़ुशी बांटने के लिए भेजा है | तो मैं इधर लोगों को खुशियां बांटने का काम करती हूँ | मेरे कस्टमर लोग आते हैं इधर दुखी होकर और मेरे साथ टाइम बिताकर खुश होकर जाते हैं | दुनिया बोलती है धंधा करती है, हाँ तो करती हूँ धंधा लेकिन ख़ुशी बांटने का धंधा जो हर किसी के बस की बात नहीं है | दुखी तो हम किसी को भी कर सकते हैं, लेकिन खुश करना आसान नहीं होता और मेरे को तो उस ऊपर वाले ने इस काम के लिए चुना है तो मै जो कर रही हूँ, उसमें खुश हूँ और दूसरों को भी खुश करती हूँ |”

उस दिन उस लड़की का आत्मविश्वास और जिंदगी और हालात के प्रति नजरिया वाकई सोचने पर मजबूर कर गया कि ऐसी जगह रहकर और इतना सब सहकर भी कोई इतनी मजबूती से कैसे खड़ा रह सकता है | यकीन मानिये कि उसकी जगह अगर कोई और होता तो कब का अपनी जिंदगी ख़त्म कर लेता | मैं उसके जज्बे, हिम्मत और सोच को सलाम करती हूँ और साथ ही ये जानना चाहती हूँ कि आजकल हम जो महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) के बारे में बड़ी बड़ी बातें करते हैं उनमें इस तरह की महिलाओं की गिनती कहाँ है और गिनती है भी या नहीं क्योंकि हम में से ज्यादातर तो इन औरतों को समाज है हिस्सा ही नहीं मानते हैं | 
Go to the page >>> https://directorcharusharma.wordpress.com/2018/01/06/%e0%a4%ae%e0%a5%88%e0%a4%82-%e0%a4%87%e0%a4%a7%e0%a4%b0-%e0%a4%b2%e0%a5%8b%e0%a4%97%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%96%e0%a5%81%e0%a4%b6%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%82-%e0%a4%ac/
(The above story has been authored by Ms. Charu Sharma, directorcharusharma.wordpress.com and has been published without editing)

Shower
Representational Image (Pixabay Image)

iConfess: A shower that turned me into a ‘lesbian’

Timesofindia.indiatimes.com
Oct 27, 2017
It just happened. Sounds like a cliche, but I never imagined that I would share a shower with my best friend. And it was weird because we were both girls, young and impressionable, who were still pursuing their dreams and education to become a doctor.
I wanted to be a doctor because that is what I grew up replying whenever someone asked me about my ‘aim in life’. But I dreamt about becoming a painter, to heal the world with colours, not with medicines. When I first saw her in our anatomy class, I knew that I had to draw her, hide her between the pages of my sketchbook. Not because I was a lesbian, I didn’t even know that there was such a word and I still fancied boys. I admired her just like the way Van Gogh admired the starry night. …

I am so glad he left me

Timesofindia.indiatimes.com
March 05, 2017
I was a stupid teenager then, almost unaware of outside world, well protected under my parents’ shadow. Had no idea about how life’s going to turn out for me. But that day something different happened, I met him for the first time at college. He was my senior. We chatted for a while and parted. He took my number and then series of endless talks and meetings began. …

Representational Photo (Pixabay Image)

The first and last kiss

Timesofindia.indiatimes.com 
Nov 16, 2016
Boarding pass check, carry on luggage check; as I picked up my bag and started walking towards the exit, a familiar hand touch called out to me. When I turned back, to my shock and happiness, I saw my most favourite face , a face that I hadn’t seen in the past 2 years, a face I’d never forgotten. …

She could’ve escaped her misery that night

Timesofindia.indiatimes.com
May 24, 2016
She got married to the most eligible bachelor in the neighbourhood, who was a decade older than her. …

A stranger on the platform   

Timesofindia.indiatimes.com 
Mar 30, 2016
“Hurry up Nidhi, or else we will miss the train and that would probably mean the end of world,” I shouted.
“Oh God! This must be ‘The D day’ for me. It seems that all the voracious and wild beasts from all over the world have come to this particular piece of land today. No male can be trusted. For them, girls are like a prey, born to be tethered away,” I thought in my mind. …

How a medical report made me realize my love for him

Timesofindia.indiatimes.com 
Mar 1, 2016
Tears were rolling down my cheeks as I held the white piece of paper in my hands. …

My aborted child still haunts me   

Timesofindia.indiatimes.com
Feb 22, 2016
I am a 26-year-old, media professional, living in Delhi with my fiance, who I met a year ago. Life has completely changed since last year, a new job brought sudden stability and he brought a sudden sense of responsibility in me, which was very exciting yet a little scary, when I thought about the future. …

 

Note:- It may be noted that the information in this website is subject to the Disclaimer of Dtf.in. If you have a complaint with respect to any content published in this website, it may kindly be brought to our notice for appropriate action to remove such content as early as possible or publish the latest/updated content/event, if any, at info[at]dtf.in.

Check Also

CGHS News

CGHS: Latest CGHS Orders; Private AYUSH Hospitals …

CGHS NEWS Latest CGHS Orders Private AYUSH Hospitals Delivery of Medicines through Speed Post Medical …